46 “हमर कहल बात नै करैचिही आ नै मानैचिही त तुसब कथिले हमरा ‘परभु, परभु’ कहैचिही?
धोखामे नै पर, परमेस्वरके कोइ नै मजाक उराइले सक्तै, कथिलेत लोक जे रोपैछै, ओह्या काटतै।
“तब उसब जबाफ देतै, ‘हे परभु, हमसब अहाँके कहिया भुखल, पियासल, परदेसी, नङटे, बिमार आ जहलमे बन्द देखलियै आ अहाँके सेबा-सुसार नै करलियै?’
“तब एकटा सोनाके डलर पाबैबला नोकर आइबके कहल्कै, ‘मालिक, हम जानैचियै कि अहाँ कठोर मनके लोक चियै। अहाँ जे चिज नै छिटैचियै, ओकरे कटनी करैबला लोक चियै आ जे राखैले नै दैचियै ओहे माङैचियै।
“कन्हिक देरबाद उ निरबुधी कनियासबसेहो एलै आ कहेलाग्लै, ‘परभु, परभु! हमरासबके लेल केबार खोइल दिय!’
तोरौरके बचन पालन करैबला बन, सुनैबला मातरे भ्याके आपनके धोखा नै दहै।