25 धिक्कार, अखन तुहे अगहेल्हासब कथिलेत तोरासबके भुखले रहेपरतौ! अखन हाँसैबलासब, तोरासबके दुख हेतौ आ काने परतौ!
तुसब सोक मना, कान आ बिलाप कर। आपन हसीके सोकमे आ आपन खुसीके उदासिमे बदैलले।
हम धनिक चियै आ हमरा कोनो चिजके कमी नै छै कैहके कहैचिही महज तोरा आपने दसा थाहे नै छौ कि तु दुखी, दया लागैबला, गरिब, आन्हर आ नाङटे चिही।
जब लोकसब “सान्ती आ सुरक्छा” कहैत रहतै, तै बखत जनङ देहभारी भेल जनी बच्चाके जल्माबैके पिरा उखरैछै तहिनङ अचानक ओइसब उपर आफत एतै आ उसब ओइसे नै बाच्बे।
निरलज, मुरुख आ खराब बचनसब तोरासबके मुहसे नै निक्ले, यि बात ठिक नै चियै। बरु अकर बदलामे त परमेस्वरके धन्यबाद दैबला काम हेबे।
ओइ बखत तोरासबके पुरखा अबराहम, इसहाक, याकुब आ सब अगमबक्तासबके परमेस्वरके राजमे देखबिही महज तुसब आपनके बाहर फेकल जेबिही तब तुसब कानबिही आ दाँत किटकिटाइबिही।
महज परमेस्वर ओइ धनिक लोकके कहल्कै, ‘हे मुरुख लोक, आइए रातमे तोहर देहसे तोहर परान तोरा छोइरके चैलजेतौ, अतहेक चिजसब तु अपनलेल जे जमा करनेचिही, बिहान यीसब ककर हेतौ?’”
ओइ बखत लोकसब येसुके बातके सुइनके हसिमे उरा देल्कै कथिलेत छौरी मर गेल्छै से उसब देख्ने छेलै।
महज धिक्कार, तोहे धनिक्हासबके कथिलेत तोरासबके सुख-चैन मिलल छौ!
धिक्कार तोरासबके, लोकसबसे परसन्सा लैबलासब कथिलेत तोरासबके पिता पुरखासब झुठा अगमबक्तासबके ओहिनङे करनेछेलौ।”