25 “चान, सुरुज आ तरासबमे चेन्हा देखा परतौ, समुन्दरके हुहुवाह आ बरका-बरका झोहसबके देखके सन्सारके लोकसबके डेराजेतै।
तकरबाद हम एकटा बरका उजर सिंहासन आ ओइमे बैठैबलाके देखलियै। पिरथिबी आ अकास ओकर सामनेसे भाग्लै आ उसब फेनसे कहियो नै देखा परलै।
उपर अकासमे हम अच्चमके काम आ निचा पिरथिबीमे लहु, आइग आ धुवाँके रेतके चेन्हासब देखेबौ।
तकरबाद लोकसब मानबके बेटाके सक्ती आ महिमासङे बादलमे आबैत देखतै।
जब बरका महासङकटके दिनसब बितलाकेबाद सुरुज अन्हार हेतै आ चान आपन चमक दैले छोरतै,
“जब बरका महासङकटके दिनसब बित्तै सुरुज अन्हार हेतै आ चान आपन चमक दैले छोरतै, अकासके तरासब खस्तै आ अकासके सक्तीसब थर-थर काप्तै।
तहै बखत ठिक दिनके बारह बजेसे तिन बजेतक देस भर अन्हार रहलै।
दिनके बारह बजेसे तिन बजे तक पुरे देस अन्हारे रहलै।
दुस्मनसब ओइसबके तरबारसे काइटके मारतौ। ओकरा बन्दी बनाके देस-देसमे ल्याजेतौ। तब आन जातसे समय पुरा नै छै तक उसब यरुसलेमके टाङके तरमे दाइबके राख्तौ।”
सन्सारमे हैले आबैबला घटनासबके समैझके लोकसब मुरछा परतौ, कथिलेत अकासके सक्तिसब थर-थर कापे लाग्तौ।