46 मालिक ओकर नै सोचलहा दिन आ घरी एतै, ओकरा करा सजाय देतै आ ओकर दसा परमेस्वरमे बिस्बास नै करैबलासब जखा हेतै।
तै खातिर तुहुसब तैयार रह, कथिलेत तुसब नै सोचलहा बखत मानबके बेटा एतौ।”
“देख, हम चोर जखा अनचेकेमे एबौ। उ लोक धैनके चियै, जे जागल रहैछै आ आपन बस्तरके जोग्याके राखैछै। उ लोकके नाङटे चले नै परतै आ लोकसबके बिचमे लाजमे नै परतै!”
तब मालिक ओकरा कठोर दन्ड देतै आ ओकरा कपटीसबके बिचमे फेक देतै, जते लोकसब कानैत रहैछै आ दात किटकिटाइत रहैछै।”
ओइ नोकरके मालिक नै सोचल्हा दिन आ घरिमे चैलएतै।
महज उ मुखिया आपन मनमे ‘हमर मालिक अबेरसे एतै’ कैहके सधारन नोकर-चाकरके मारे-पिटे लाग्तै आ जथाभाबी खा-पिके माते लाग्तै त,
“आपन मालिकके इक्छा जाइनके तयार नै रहै आ करैबला काम नै करैछै तेहन मुखियाके मालिक सजायके भागिदार बनेतै।