34 तोहर आँख देहके लेल इजोत चियौ। तोहर आँख असल छौ त तोहर पुरे देह इजोत हेतौ, महज उ खराब छै त तोहर देहो अन्हार हेतौ
तु ओकरासबके आँख खोइलके अन्हारसे इजोतमे आ सैतानके बन्धनसे परमेस्वर दिसन घुमाबे। जैसे उसब हमरमे बिस्बास करे आ ओकरसबके पाप छमा भ्याजाय आ परमेस्वरके पबितर करल लोकसब रहल ठाममे रहे पाबे।’
हे दाससब, तुसब आपन मालिकसबके कहल सब बातसब मान। मालिकसबके खुसी करेके बिचारसे आँखके अगा मातरे नै महज परभुके डर राइखके सोझ मनसे काम कर।
जनङ सैतान साँपके रुप ल्याके चलाकिसे हब्बाके ठगल्कै, ओहिनङ खिरिस्ट परती तोरासबके इमान्दारी आ सुध भक्तीसे तोरासबके मन बहकतौ कि हमरा तकर डर लागैये।
सैतान, जे अइ सन्सारके देबता चियै से महिमीत सुसमाचारके इजोतके नै देखे कैहके खिरिस्टमे बिस्बास नै करैबला लोकसबके बुझैबला सक्तीके आन्हर बन्यादेनेछै।
हम अपनासबके परभु येसु खिरिस्टके महिमाके पिता, परमेस्वरके यि परथना करैचियै कि उ तोरासबके बुइध आ परकासके आत्मा देबे ताकी तुसब ओकरा असलसे चिन्हैले सके।
ताकि उसब ताकैले त ताकैछै, महज नै देखैछै, सुनैले त सुनैछै, महज नै बुझैछै, नै त उसब पस्चाताव करतियै आ ओइसबके पाप छमा हेतियै।”
अइ बातमे हमसब गर्भ करैचियै आ हमरासबके बिबेक सेहो साक्छी दैछै कि, अइ सन्सारमे बिसेस कैरके ओइसबसङे समबन्धमे हमसब इमान्दार आ परमेस्वरमे पबितर जिबन बितेलियै। यि हमसब सन्सारके ग्यानसे नै महज परमेस्वरके अनुगरहसे पाबनेचियै।
तोरासबसङे आँख छौ तैयो नै देखैचिही? कान छौ तैयो नै सुनैचिही? कि तोरासबके याद नै छौ?
आब देख, परभुके हाथ तोहर बिरोधमे उठल छौ। आब अखुन आन्हर हेब्ही आ कुछ समय तु सुरुजके इजोत नै देखबिही।” तब तखुन्ते ओकर आँखमे करिया धुइन लागल जखा लाग्लै आ उ अन्हरागेलै। तब कोइ ओकरा हाथ पकैरके लज्यादेतै कि कैहके उ सहारा ताके लाग्लै।
हे नोकर-चाकरसब, जनङ खिरिस्टके सेबा करैचिही तैहनङे इमान्दारी साथ तुसब यि सन्सारके मालिकसबके आदर कर आ डर राइखके ओकरासबके कहलहा बात मान।
उसब एकेमन भ्याके सबदिन मन्दिरमे जमा हैछेलै, घर-घरमे परभु भोज करै आ सबकोइ खुसी मनसे मिल-जुइलके खाइछेलै,
लोभ, दुस्मनी, छल-कपट, निरलज, रिस-डाह, निन्दा, घमन्ड, मुरखता निक्लैछै।
अइ खातिर होसियार रह, तोहर सङे भेल्हा इजोत अन्हार नै हेबे।