1 हे धनिक लोकसब, हमर बात सुन! तुसब बिलाप कैर-कैरके कान, कथिलेत तोरासबके जिबनमे बहौत बिपत आबैबला छौ।
जब टहटह रौद लागैछै तब फुलाके गाछ मुरझा जाइछै। एहैन लोभ लागैबला फुल त झैरजाइछै आ ओकर सोभा हर्याजाइछै। ओहिनङ कैरके कामकाजमे दौर धुप कैरते कैरते धनिक लोकसबके जिबन बित जाइछै।
तुसब “आइ कि बिहान अपनासब कोनो सहर ज्याब, ओते एक बरिस रैहके बेपार करब आ धन कमाएब” कैहके घमन्ड करैबलासब एते सुन।
महज तुसब त गरिबसबके अपमान करनेचिही। कि धनिक लोकसब तोरासबके अत्याचार नै करैछौ? कि उसब तोरासबके अदालतके अगा घिस्याइत नै लजाइछौ से?
तुसब सोक मना, कान आ बिलाप कर। आपन हसीके सोकमे आ आपन खुसीके उदासिमे बदैलले।