16 महज तुसब त घमन्डी भ्याके आपन बन्याल योजनामे खुब धाख लगाइचिही। एहेन घमन्ड करनाइ निक बात नै चियै।
तोरासबके करल घमन्ड ठिक नै छौ। कन्हिके खमिरसे सानल पुरे आँटाके खमिरा बनाइछै, कि से बात तोरासबके थाह नै छौ?
उ जतहेक मान-सम्मान आ भोग-बिलास करने छै, ओतबेहेक ओकरा दुख आ सोक दहै। कथिलेत उ मनमने कहैछै, ‘हम त महरानी चियै, हम बिधुवा नै चियै, हमरा कहियो सोक करैले नै परतै।’
महज यदि तोरासबके मनमे जरनी आ स्वारथ छौ त आपन बुइधमे घमन्ड नै कर आ सतके झुठ नै बना।
कथिलेत सन्सारमे भेल्हा चिजसब अरथात देहके कुइक्छा, आँखके लालच आ जिबनके घमन्ड परमेस्वर पितासे नै, महज यि सब त सन्सारसे एलछै।