20 कथिलेत लोकके तामससे परमेस्वरके धारमिकता नै आनैछै।
तोरासबके रिसो उठतौ त, पाप नै कर। सुरुज डुगैसे पैहनैये तोरासबके रिस मैर जेबाके चाही।
महज हम तोरासबके कहैचियौ, जे कोइ आपन भाइसे करोध करैछै, उ सजायके भागिदार हेतै, जे कोइ आपन भाइके अपमान करैछै, ओकरा धारमिक महासभामे जबाब देबे परतै। महज जे कोइ आपन भाइके सराप दैछै, उ नरकके आइगमे खसै जोकरके हेतै।