19 तुरहीके बरका आबाज आ एकटा बारका सोर छेलै, जे आबाजके सुनैबलासब, “आब अकरसे बेसी आबाज सुनैले नै परे” कैहके बिन्ती करल्कै।
यि परिबरतन आँखके एक मटकीमे, तुरहीके अन्तिम आबाजमे हेतै। तै समयमे तुरही बज्तै तब मरल लोकसब सबदिनके लेल जिबित हेतै आ अपना जिबित भेलसब परिबरतन हेबै।
कथिलेकी परभु जखने हुकुमके अबाज देतै आ परमुख स्वरग दुतके अबाज आ तुरहीके अबाज हेतै तखने खिरिस्टमे बिस्बास कैरके मरलहा लोकसब सबसे पहिने जिबित भ्याके उठतै।
तुरहीके अबाजसङे उ आपन स्वरगदुतसबके पठेतै आ अकास आ पिरथिबीके चारु दिसरसे उ आपन छानल लोकसबके जमा करतै।
होसियार रह, तोरासबसङे बोलैबलाके इन्कार नै कर। यदि अइ पिरथिबीके लोकसे देल चेताबनीके इन्कार करैबला भागैले नै सक्तै त स्वरगसे चेताबनी दैबलाके इन्कार करबिही त कनङके बाचैले सकबिही?