18 अङगुरके मधसे नै मात कथिलेत ओइसे जिबन नास हैछै, महज पबितर आत्मासे भरपुर रह।
अपनासब दिनके इजोतमे रहल जखा असल काम कर। रातके अन्हारमे करल खराब काम जखा मोजमजा, मातैबला काम, बेबिचार, भरस्टाचार, लराइ-झगरा आ डाह करैले छोर।
कथिलेत परभुके नजरमे उ महान हेतै। उ कहियो नै अङगुरके मध आ दोसर कोनो निसाबला चिज छुबतै। उ जलमैसे पहिने पबितर आत्मासे भरल रहतै।
हम त खिरिस्टियन भाइ चियै कहैछै महज बेबिचार करैछै, लोभ करैछै, मुरतिपुजा करैछै, दोसरके निन्दा करैछै, मतबाला आ दोसरके ठकैछै, एहेन लोकसबसङे बैठके नै खो कैहके लिखने चियौ।
कथिलेत उ असल, पबितर आत्मा आ परमेस्वरके बिस्बासमे भरपुर भेल लोक रहै। तब बहौत लोकसब अकरे कामसे उत्साहित भ्याके बहौत लोकसब परभु येसुके बिस्बास करल्कै।
कथिलेकी सुतैबलासब रातमे सुतैछै आ पियक्करसब रातेमे मातैछै।
महज उ मुखिया आपन मनमे ‘हमर मालिक अबेरसे एतै’ कैहके सधारन नोकर-चाकरके मारे-पिटे लाग्तै आ जथाभाबी खा-पिके माते लाग्तै त,
तुसब खराब हैतोपरभी आपन धियापुतासबके असल चिजसब दैले आबैछौ त, औरो तोरासबसे बेसी स्वरगमे रहैबला पिता, ओकरसङे माङेबलाके पबितर आत्मा दैछै!”
चोरसब, लोभ करैबलासब, पियक्करसब, निन्दा करैबलासब आ लुटपाट करैबलासब परमेस्वरके राजके हकदार हैले नै सक्तै।
मन्डलीके एल्डरसब निरदोस जिबन बिताइबला आ एकेटा घरबाली भेल लोक रहैके चाही। ओकर बेटा-बेटी बिस्बासी, असल चरितर आ कहल मानैबला हैकेचाही।
“तुसब आपनमे होसियार रह, बेसी भोज-भतेरके पछा नै जो, मतबालीपना आ जिन्गीके बारेमे चिन्ता करैसे होसियार रह, नै त उ दिन नै सोचलहा बखतमे चैलएतौ।
कथिलेत तुसब खाइबखत आपने आपने सुरमे खाइले लागैचिही। तब कोइ भुखले रहैछै आ कोइ पिके मातैछै।
“महज तु धरमगुरुसब आ फरिसीसबके धिक्कार! तुसब कपटी चिही! थारी आ बाटी बाहरसे त माजैचिही, महज ओइके भितर लोभ आ स्वारथ भरल रहैछौ।
उ आपन जरे काम करैबला नोकरसबके मारपिट करे लाग्तै आ अपने पियकर सङे खाइ-पिये लाग्तै त,
“सबलोक पहिने असल्का मध पियैले दैछै आ जब लोकसब बहुते पिलैछै, तब मातरे दबका पियैले दैछै, महज अहाँ त असल्का अखुनतक राखने चियै।”