17 तै खातिर मुरुख लोक नै बन महज परभु तोहरसे कोन आसा करनेछौ से जान।
अइ सन्सारके लोकसब जखा देखासेखी नै कर महज आपन सोच-बिचार परमेस्वरके परिबरतन करैले दहै। तब परमेस्वरके असल, मनपरैबला आ सिध इक्छा कथी चियै से तुसब जानबिही।
केहनो परिस्थितीमे परमेस्वरके धन्यबाद दहै, कथिलेकी येसु खिरिस्टमे तोरासबके लेल परमेस्वरके इक्छा यिहे चियौ।
तैखातिर हमसब यि बात जहियासे सुन्नेचियै तहियेसे तोरासबके खातिर हरदम परथना करैत आइबरहलचियौ। पबितर आत्मासे मिलल पुरा आत्मिक ग्यान आ समझसे परमेस्वरके पुरा इक्छा जानैले सक कैहके हमरासबके परथना छै।
अहै खातिर, केहेन चालचलन चले परतौ तैमे निकसे धियान दहै, मुरुख नै महज बुधिमान हो।
आबसे तुसब अइ पिरथिबीमे बाचै तलिक आपन जिबन लोकके जखा अधलाह इक्छामे नै, महज परमेस्वरके इक्छा अनुसारके जिबन बिता।
येसु खिरिस्टके बिस्बास नै करैबलासबसङे बेबहार करैतखिना बुइध पुगाके कर आ तोरासबके भेटल सब मौकाके पुरा रुपसे परयोग कर।
यदि कोइ ओकर इक्छा अनुसार काम करैले चाहैछै त से उ जाइन जेतै, कि हमर सिक्छा परमेस्वरसे एलछै, कि हम आपने मनसे बोलैचियै।