15 महासभामे बैठल उ सब लोकसब स्तिफनस दिसन गौरसे ताकल्कै त ओकर चेहरा स्वरगदुत जखा देखल्कै।
तब धरमी लोकसब आपन पिताके राजमे सुरुज जखा चम्कतै। जकरा कान छै, उ धियानसे सुइनके बुझ।
चेलासबके अगारीमे येसुके रुप बदैलगेलै। ओकर चेहरा सुरुज जखा चमके लाग्लै आ ओकर बस्तर उजर चमकदार भ्यागेलै।
हमरासबके नै झापले चेहरासे परभुके महिमाके झलकाइचियै। परभु आत्मा चियै आ उ अपनासबके औरो आपनलखा महिमामय रुपमे परिबरतन कैरतेजेतै।
महज हम तोरासबके कहैचियौ, जे कोइ आपन भाइसे करोध करैछै, उ सजायके भागिदार हेतै, जे कोइ आपन भाइके अपमान करैछै, ओकरा धारमिक महासभामे जबाब देबे परतै। महज जे कोइ आपन भाइके सराप दैछै, उ नरकके आइगमे खसै जोकरके हेतै।
येसु फेनो ओकर आँखमे आपन हाथ राखल्कै आ उ एकटक लग्याके ताकल्कै। तब ओकर आँखमे रोसनी एलै आ उ फेनो निकसे देखे लाग्लै।
तब परधान पुजारी स्तिफनके पुछल्कै, “कि यि सब बात साँचोके चियौ?”