30 जहाद चलाइबलासबके भाइग जाइके बिचार छेलै, तहै खातिर जहादके अगिल्का भागसे लंगर खसाइके बहानासे उसब छोटका नाह समुन्दरमे खसाइने छेलै।
कलौडा नामके छोट टपुके सहरामे पुगलियै त बहुत कठिनसे जहादके पछा बान्हल छोट नाहके जोगाइले सकलियै।
यि बात सुनलाके बाद सैनिकसब जहादमे बान्हल छोटका नाहके रसा काइटके समुन्दरमे बह्या देल्कै।
महज जब चौद रातमे अन्दिरियास समुन्दरमे अने-ओने भटकैत रहलै तब अधा रातके जहाद चलाइबलासबके यि लाग्लै जे कोनो जमिनके पाखा दिसन पुइगरहल चियै।
पानीके गहिराइ कम भेलासे उसब घबराल छेलै कि कतौ चटानमे ठोकर लाग्तै कि तै डरसे जहादेके पछासे चारु लंगर समुन्दरमे खसेल्कै। तब अनगुत हेबे कैहके परथना करे लाग्लै।
महज पावल सेनाके कप्तान आ सैनिक सबके कहल्कै, “यि जहाद चलाइबलासब जहादमे नै रहतै त अहुसब नै बाच्बै।”