52 तब ओहै बखत एन्टिओखियाके बिस्बासी बहौत खुसी आ पबितर आत्मासे भरपुर भेलै।
तुसब हमरासबके आ परभुके देखासेखी करलिही, कथिलेकी सताबटमे सेहो तुसब पबितर आत्मासे देल सुसमाचार खुसिसे गरहन करलिही।
तुसब आसा दैबला परमेस्वरमे बिस्बास करनेचिही। ओह्या तोरासबके आनन्द आ सान्तीसे भैरदेबे। तहिनङे पबितर आत्माके सक्तिसे तोरासबके आसा बैढते जाय।
महज पबितर आत्माके फलसब- परेम, आनन्द, सान्ती, धिरज, दया, भलाइ, बिस्वस्तता,
जब उसब परथना समापत करल्कै तब ओइठाम जते उसब जमा भेलरहै ओते सबकोइ थरकलै आ उ सबकोइ पबितर आत्मासे भरलै आ उसब साहसके साथ परमेस्वरके बचन परचार करे लाग्लै।
उसब एकदम संकटके परिक्छामे रहितोपरभी परसस्त आनन्दित भेलै आ गरिबीमे सेहो उसब उदार चितसे भेटी देल्कै।
अतबेक नै, हमसब आपन दुख-कस्टमे सेहो आनन्द मनाबैचियै कथिलेत हमसब जानैचियै कि दुख-कस्टसे सहनसिलता उतपन कराबैछै,
तब उ सबगोरे पबितर आत्मासे भरलै आ पबितर आत्माके सक्तिसे उसब आन भसासबमे बोले लाग्लै।
तब खुसी आ आनन्द मना, कथिलेत तोरासबके खातिर स्वरगमे बरका इनाम राखल छौ। अहिनङे तोरासबसे पहिनेके अगमबक्तासबके उसब सताइने रहै।
बरु खिरिस्टके दुख-कस्टमे सहभागी हैले पाबलियै कैहके आनन्द मना। जब उ आपन महिमाके सङे फेनसे एतै, तै बखत तुसब औरो आनन्द मनाइले सके।
हे हमर भाइ-भैयासब, तोरौरके जब कोनो किसिमके आपत-बिपत एतौ तखुन तुसब खौब आनन्दके बात समझ।
कथिलेत परमेस्वरके राज खाइ-पियैबला चिज नै, महज पबितर आत्मासे आबैबला धारमिकता, सान्ती आ आनन्द चियै।
तब येसुके नाममे अपमान सहैके योग्य चियै कैहके खुसी मनाइत उसब महासभामे गमलिएलके बात मानैत निकैलके गेलै।
उसब एकेमन भ्याके सबदिन मन्दिरमे जमा हैछेलै, घर-घरमे परभु भोज करै आ सबकोइ खुसी मनसे मिल-जुइलके खाइछेलै,
तब अगाबसके भबिसबानी सुइनके परभुके बिस्बासीसब यहुदिया इलाकामे रहैबलासबके मदत करैके खातिर उसब जतहेक सक्तै ततहेक भेटी पठाइले बिचार करल्कै।