16 सबदिन आनन्दित रह।
आपन आसामे आनन्द कर, दुख-कस्टमे धिरज कर आ निरन्तर परथना करैतरह।
परभुमे सबदिन आनन्द कर। हम फेनसे कहैचियौ, आनन्द कर।
तब खुसी आ आनन्द मना, कथिलेत तोरासबके खातिर स्वरगमे बरका इनाम राखल छौ। अहिनङे तोरासबसे पहिनेके अगमबक्तासबके उसब सताइने रहै।
सोकमे रहितोपरभी हरसमय आनन्दमे रहैचियै। गरिब रहितोपरभी बहुतोके आत्मिकी रुपमे धनिक बनाबैचियै। कुछो नै रहितोपरभी हमरासबसङे सब चिज छै।
तैयो भुतआत्मासब तोरासबके अधिनमे छौ कैहके खुसी नै मना, महज स्वरगमे तोरासबके नाम लिखलछौ तैमे खुसी मना।”
उसब ओकरा कहल्कै, “परभु, एह्या रोटी हमरासबके सबदिन दिय!”