18 हे नोकरसब, पुरा आदरकेसाथ आपन मालिकसबके अधिनमे रह। तोरा भलाइ चिताइबला आ दया करैबला मालिकसबके अधिनमे मातरे नै महज निरदयी मालिकसबके अधिनमे सेहो रह।
महज स्वरगसे आबैबला बुइध त सबसे पहिने असल हैछै, तकरबाद उ सान्ती दैबला, नम्र, बिचारसिल आ दयासे भरल रहैछै आ असल कामसे परकट हैछै। अइमे पक्छपात करैबला बात आ छलकपट करैबला बात नै रहैछै।
महज पबितर आत्माके फलसब- परेम, आनन्द, सान्ती, धिरज, दया, भलाइ, बिस्वस्तता,
उसब ककरो बदनाम नै करे, लराइ-झगरा नै करे महज सब लोकसबसङे मिलजुइल असल बेबहार करे।
हम पावल, तोरासबके सामने डरपोक चियै, महज दुर रहैबेर हम तोरासब परती साहसी हैचियै कैहके तोरासबके बिचमे हल्ला चललछै कहाने। खिरिस्टके नम्रता आ दयासे हम तोरासबके बिन्ती करैचियौ कि,