7 उसबमेसे कतहेक गोरे करल जखा तुसब मुरतिपुजा नै कर। यह्या बात पबितर धरमसास्तरमे लिखल छै, “लोकसब भोजमे खानपिन करैले बैठलै आ मोज-मज्जा करैले लाग्लै।”
कि अधरमी लोकसब परमेस्वरके राजमे ढुकैले नै सक्तै कैहके तोरासबके थाह नै छौ? अइ बातके गम्भिर रुपसे ले आ तुसब आपनेके धोखा नै दहै, कथिलेत अनैतिक काम करैबला, मुरतिपुजा करैबला, बेबिचार करैबला, समलिङगिसब, पुरुखगामीसब,
तैखातिर, हे हमर पिरिय भाइ-भैयासब, मुरतिपुजासे दुरे रह।
हम त खिरिस्टियन भाइ चियै कहैछै महज बेबिचार करैछै, लोभ करैछै, मुरतिपुजा करैछै, दोसरके निन्दा करैछै, मतबाला आ दोसरके ठकैछै, एहेन लोकसबसङे बैठके नै खो कैहके लिखने चियौ।
हमर पिरिय बेटा-बेटीसब, तुसब अपने आप झुठा देबी-देउतासबसे बैचके रह।
महज सब बिस्बासी लोकके यि ग्यान नै हैछै। ओकरासबके मुरतिपुजाके आदत भेलाके कारन अखुन्तो मुरुतिके चरह्याल चिज खाइछै त साँचोके मुरुतिके चरह्याल चिज खाइचियै कैहके ठानैछै। ओइसबके मनमे एहेन गलत बिचार भेलाके कारन उ खेलासे “हम असुध भेलियै” कैहके ठानैछै।
महज उसब यि बात लिखके पठेल्कै, कि उसब ‘मुरुतके चरह्याल चिजसबसे, बेबिचारसे, कन्ठ दाइबके अरथात लहु नै बह्याके मारल पसुके मौस आ लहुसे अलग रहे।’