रोमियों 13:13 - गढवली नयो नियम13 आवा हम अपड़ा चाल-चलन तैं ठिक कन शुरू कैरी द्यां, ऊं लुखुं का जन जु उज्यला मा रौंदींनि अर अंधेरा मा न; न की लीला-क्रीडा, अर न पियक्कड़पन, न व्यभिचार, अर लुचापन मा, अर न झगड़ा, अर न जलन मा। Gade chapit laGarhwali13 अर हमरु सभौ दिन का उज्याळा का जन हो। हाँ, जन दिन को उज्याळु सभ्यों पर चमकदु, ठिक उन्नि हमरु सभौ भि हो ताकि वेका द्वारा हम सब लोगु खुणि अच्छु सभौ वळा बणि जा। अर नऽ त हमतै मौज-मस्ती करण चयेणी, अर ना ही हमतै नसा करण वळु होण चयेणु। अर नऽ त हमतै गळत सम्बन्ध रखण चयेणा, अर ना भोग-बिलास करण चयेणु, अर नऽ त हमतै कै का दगड़ा मा लड़ै-झगड़ा करण चयेणा, अर ना ही हमतै एक-दुसरा तैं देखि के जलत्यौण चयेणु। Gade chapit la |
कुछ हैंका लोग जूं तैं तुम जंणदा छा अर उ नरक का तरपां जांणा छिनी, ऊं तैं वीं हमेशा की आग मा बट्टी तुरंत खैंचि के बचै ल्या। अर इन हैंका लोग छिनी जौका प्रति तुम तैं दयालु हूंण चयणु च, पर दगड़ा मा दया दिखांण बगत भौत चौकस भि रा। तुम तैं ऊंका कपड़ोंं बट्टी भि घींण कन चयणी च, जन कि ऊंकी पापमय वासनाओं ल ऊं कपड़ोंं तैं भ्रष्ट कैरेले।