कैदियों की इन सुध ल्या, कि मांणा ऊं दगड़ी तुम भि कैद मा हो; अर जु सतयां लोग छिनी, ऊंकी भि यु समझी के सुध लिया कैरा, जन कि तुम अपड़ा देह मा ही ऊंका दर्द तैं महसूस कना हो।
बरनबास ल उख पौंछि के, उख लुखुं पर पिता परमेश्वर की दया देखि के खुश हवे गै, अर ऊं सभियूं तैं उपदेश द्ये कि तुम पूरा मन से पिता परमेश्वर पर विश्वास कनु कु मजबूत रावा।
अर मिल यु ही बात तुम तैं इलै लिखीं, कि कखी इन नि हो, कि मेरा आंण पर जौं मा मि तैं खुशी मिलण चयणी च, मि वेमा दुखी नि हवे जौं; किलैकि मि तैं तुम सभियूं पर ईं बात कु विश्वास च कि जु मेरी खुशी च, व ही तुम सभियूं की भि खुशी च।