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दिब्य दरस 9:17 - गढवली नयो नियम

17 उ घोड़ा अर ऊंका सवार जौं तैं मिल दर्शन मा देखि, उ इन दिख्योंदा छा ऊंकी झीलम आग का जन लाल, गहरा नीली अर गन्धक का जन पीला छा। घोड़ों का मुंड शेरों का मुंड का जन लगदा छा, ऊंका गिचा बट्टी आग, धुंआ अर गंधक निकलणी छै।

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Garhwali

17 अर ये दिब्य दरसन मा मितैं घोड़ा अर ऊं पर सवारों को रुप कुछ इन दिखै, ऊंका कवच जळदी आग की तरौं लाल, नीलमणी की तरौं नीला छा, अर गंधक की तरौं पिंगळा छा। अर ऊं घोड़ो का मुण्ड़ शेरों की तरौं अर ऊंका गिच्‍चों बटि आग अर धुंवा अर गंधक निकळणु छौ।

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दिब्य दरस 9:17
16 Referans Kwoze  

धरती की सैरा लुखुं मा बट्टी एक तिहाई लुखुं तैं यूं तीन भयानक विपत्तियों का द्वारा मरै गै, जु घोड़ों का गिचा बट्टी निकलदी छै मतलब की आग, धुंआ अर गन्धक।


पर जु मि पर विश्वास नि रखदींनि, ऊं तैं जोर जबरदस्ती ल गन्धक ल जलांण वली वीं झील मा शामिल किये जालो, जु कि दुसरी मौत च अर यु ही परिणाम ऊंको भि होलो, जु लुखुं का संमणी मि तैं स्वीकार कन से डरदींनि, बुरा काम करदींनि, जु हत्यारा छिनी, यौन रूप बट्टी अनैतिक छिनी, जादु-टूणा करदींनि अर मूर्तियों की पूजा करदींनि अर झूठ बुल्दींनि।”


त उ पिता परमेश्वर का प्रकोप की दाखमधु तैं बगैर मिलावट का, वेका गुस्सा का कटोरा मा डले गै, जु वे तैं पयालो अर पवित्र स्वर्गदूतों का संमणी अर चिनखा का संमणी आग अर गन्धक की पिड़ा मा पुड़लो।


अर उ दुसरो जानवर अर वेका दगड़ी उ झूठो संदेश दींण वलो जु अफ तैं पिता परमेश्वर का तरपां बट्टी बुल्ण वलो बुल्द पकड़ै गै, वेल जानवर का तरपां बट्टी झूठा चमत्कार दिखै अर ऊं सभि लुखुं तैं भरमै, जौनु जानवर की छाप अपड़ा कपाल पर लगै छै अर जु वेकी मूर्ति की आराधना करदा छा, यु द्वी ज्यूंदा ही वीं आग की झील मा, जु गन्धक ल जल्दींनि डलै गैनी।


फिर ऊंल शैतान तैं जैल यूं सभियूं तैं भरमयूं छो, वीं जगह पर ढोल दींनि जु आग अर गन्धक बट्टी फुकयोंदो। उ वीं जगह पर होलो जख ऊंल पैली बट्टी ही जानवर अर पिता परमेश्वर का तरपां बट्टी बुल्ण वला बुल्दींनि। आग ऊं सभियूं तैं दिन अर रात हमेशा कु दुःख द्याली।


अर जु कुई ऊं तैं नुकसान पौछांण चांद, त यांका मुक बट्टी आग निकली के ऊंका बैरियों तैं भस्म कैरी दींद, अर जु कुई ऊं तैं नुकसान पौछांण चौ, त जरुर इन कै ही मरै जौं।


अपड़ी छती पर ऊंल लोखर का बणयूं कवच पैरयूं छो। जब उ उड़िनि, त उ इन आवाज करदा छा जन कई घोड़ा लड़ै पर जांणवला रथों तैं खिचदींनि।


पाँचु गोमेदक की, छठवीं माणिक्य की, सातवीं पीतमणि की, आठवीं पेरोज की, नौवीं पुखराज की, दसवीं लहसनिए की, ग्यारहवीं धूम्रकान्त की, बारहवीं याकूत की छै।


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