दिब्य दरस 18:3 - गढवली नयो नियम3 यु इलै होलो किलैकि वीं जनन ल जु कि बाबेल शहर च, हर एक राज्य का सभि जातियों तैं दाखमधु पिलै जु कि वेकी मूर्तियों की पूजा करदा छा। सैरी धरती का राजा वेका गंदा कामों मा शामिल हवीनि। धरती का व्यापारी वीं जनन की मंहगी-मंहगी चीजों की इच्छा का कारण सामर्थी अर धनवान बंणि गैनी।” Gade chapit laGarhwali3 अर सब देसों का लोगु न वींका गळत सम्बन्ध बणौण वळी दारु पीयाली, ताकि सब लोग तैं वीं की लत लगि जौ, अर धरती का राजाओं न वींका दगड़ा मा सरील का गळत सम्बन्ध बणैनी, अर अपणी बुरी इच्छाओं तैं पूरु कैरिके धरती का व्यापारी लोग मालोमाल ह्वे गैनी।” Gade chapit la |