दिब्य दरस 17:15 - गढवली नयो नियम15 स्वर्गदूत ल भि मि बट्टी यु भि बोलि; “जु पांणी तिल पैली भि देखि छो, ज्यां पर व वेश्या जनन बैठी छै, लोग, जातियों, देश अर भाषाओं तैं बतौंदींनि, कई देश का लुखुं तैं अर कई ढंग की भाषाओं तैं बुल्ण वला छिनी। Gade chapit laGarhwali15 तब वे स्वर्गदूत न मिकू बोलि, “जु पाणि तिन देखि जख वा वेश्या बैठि च वांको मतलब, लोगु की भीड़, जाति, गोत्र, अर भाषाओं से च। Gade chapit la |