दिब्य दरस 15:2 - गढवली नयो नियम2 तब मिल कुछ देखि जु समुद्र का जन दिख्यौन्दु छो अर कांच का जन चमकणु छो अर वेमा आग भि मिल गै छै। मिल ऊं लुखुं तैं भि देखि जु जानवर बट्टी नि हारी छा। ऊंल जानवर की अर वेकी मूर्ति की आराधना नि कैरी छै, अर ऊं पर जानवर का नौं की संख्या कु चिन्ह नि लगै गै छो। उख उ वे समुद्र का छाला पर खड़ा छा अर ऊं सभियूं की एक वीणा पकड़ी छै जु पिता परमेश्वर की ऊं तैं दीं छै। Gade chapit laGarhwali2 तब मितैं काँच का जन एक समुन्दर दिखै, अर वु इन लगणु छौ जन कि वेमा आग मिली हो। अर जौं लोगु न वे दैंत, वेकी मूरत, अर वेका नौ की संख्या पर जीत हासिल कैरी छै, मिन ऊं सब लोगु तैं वे काँच का समुन्दर का मथि खड़ु देखि। अर पिता परमेस्वर न हरेक तैं एक-एक बीणा दिनी। Gade chapit la |
यूं मुसिबतों कु उद्देश्य यु दिखांण च कि क्य तुम सच मा पिता परमेश्वर पर विश्वास करदा छा। यीशु मसीह मा तुम्हरो विश्वास सोना बट्टी भि जादा कीमती च। जन नाश हूंण वला सोना तैं आग मा परखै जांद अर शुद्ध किये जांद, उन ही तुम जु तुम्हरो विश्वास आग की अजमैशों का द्वारा परखै जांणा का बाद भि मजबूत रांदो, त यु वे दिन तुम तैं भौत प्रशंसा अर महिमा अर सम्मान दिलालो जब यीशु मसीह फिर से आलो।
मि त तुम तैं पापों बट्टी पछतावा कैरी के मन फिरावा इलै मि तुम तैं पांणी ल बपतिस्मा दींदो अर यु प्रचार करदु छो, “कि मेरा बाद उ औंण वलो च, जु मि से भि जादा महान अर शक्तिशाली च मि त ये लैख भि नि छौं कि वेको दास बंणि के झुकि के वेका जुतों का तंणखा खोलु, मिल त तुम तैं पांणी ल बपतिस्मा दींनि पर उ तुम तैं पवित्र आत्मा ल अर आग ल बपतिस्मा दयालो।