मत्ती 26:70 - गढवली नयो नियम70 वेल सभियूं का संमणी यु बोलि के मना कैरी “मि नि जंणदु कि तु क्य बुंनि छै।” Gade chapit laGarhwali70 मगर वेन सभ्यों का समणि इन बोलि के नकारी दिनी कि, “मि नि जणदु कि तू क्या छैई बोन्नि।” Gade chapit la |
पर जु मि पर विश्वास नि रखदींनि, ऊं तैं जोर जबरदस्ती ल गन्धक ल जलांण वली वीं झील मा शामिल किये जालो, जु कि दुसरी मौत च अर यु ही परिणाम ऊंको भि होलो, जु लुखुं का संमणी मि तैं स्वीकार कन से डरदींनि, बुरा काम करदींनि, जु हत्यारा छिनी, यौन रूप बट्टी अनैतिक छिनी, जादु-टूणा करदींनि अर मूर्तियों की पूजा करदींनि अर झूठ बुल्दींनि।”