किलैकि यूं दिनों से पैली थियूदास यु बोलि के प्रगट हवे, लुखुं तैं बतै की उ एक महान आदिम च अर लगभग चार सौ लोग वे दगड़ी हवे गैनी पर उ मरै गै अर जथग लोग वे तैं मंणदा छा सब तितर-बितर हवीनि अर हरचि गैनी।
जन के कि मेरा ढिबरा अपड़ा असली चरवाहा की आवाज पैछणदींनि उन ही मेरा लोग मेरी बातों पर ध्यान दींदां छिन मि ऊं तैं जंणदु छौं अर उ मेरा चेला बण मेरा पिछनैं चलणां छिन