मि तुम तैं चितौंदु कि तुम तैं कै बट्टी डरण चयणु च घात कना का बाद जै तैं नरक मा डलणो कु अधिकार च वे बट्टी ही डैरा बल्कि मा मि तुम मा बुल्णु छौं वे ही बट्टी डैरा।
पर ऊं तैं भस भय का दगड़ी पिता परमेश्वर कु न्याय को अर तेज प्रचण्ड आग की ही उम्मीद कन चयणी च जु ऊं लुखुं कु नाश कैरी द्याली जु पिता परमेश्वर को विरोध करदींनि।
अब प्रभु त्वे तैं सजा दयालो; तू थोड़ा बगत तक कु अंधो हवे जाली अर सूरज का उज्यला तैं नि देख सकली।” तब एकदम वेकी आँखों का संमणी अंधेरो हवे गै, अर फिर उ लाचार हवे के इने-उनै ढुंढण लगि गै कि कुई वेको हथ पकड़ी के वेकी मदद कैरो।
इलै प्रभु की डौर मांणी के हम सत्य पर विश्वास कनु कु लुखुं बट्टी बिनती करदा अर पिता परमेश्वर हम तैं पूरा ढंग से जंणदु च; अर मेरी आस य च, कि तुम्हरो विवेक हम तैं अच्छा ढंग से जंणदु च।