कुलुसी 3:5 - गढवली नयो नियम5 इलै तुम ऊं बुरा कामों तैं छोड़ी द्या जु तुम्हरा पापी स्वभाव बट्टी जुड़यूं च, यानि व्यभिचार, अशुद्धता, वासना, बुरी लालसा, अर लोभि नि बणा यु मूर्तिपूजा का बराबर च। Gade chapit laGarhwali5 इलै तुम दुनियां कि ऊं बातों खुणि अपणा पापि सभौ तैं खतम कैरी द्या जु कि पाप करौन्दिन, जन कि सरील का गळत सम्बन्ध रखण, अशुद्धता, हवस, बुरी इच्छा, अर लालच करण जु कि मूरत पूजा का बराबर च। Gade chapit la |
पर जु मि पर विश्वास नि रखदींनि, ऊं तैं जोर जबरदस्ती ल गन्धक ल जलांण वली वीं झील मा शामिल किये जालो, जु कि दुसरी मौत च अर यु ही परिणाम ऊंको भि होलो, जु लुखुं का संमणी मि तैं स्वीकार कन से डरदींनि, बुरा काम करदींनि, जु हत्यारा छिनी, यौन रूप बट्टी अनैतिक छिनी, जादु-टूणा करदींनि अर मूर्तियों की पूजा करदींनि अर झूठ बुल्दींनि।”