जु विश्वासी लोग तुम तैं पैली कभी भि नि मिलिनि, ऊं तैं अपड़ा घौर मा स्वागत कन नि भूला, किलैकि यांका द्वारा कथगों ल अनजाना मा स्वर्गदूतों कु आदर-सत्कार कैरी।
इलै जरूरी च, कि अध्यक्षों तैं निर्दोष हूंण चयणु च, अर वेकी एक ही जनन हो, अर सब्र रखण वलो, समझदार, इज्जतदार, अर खातिरदारि कन वलो, अर पिता परमेश्वर का वचन तैं सिखांण म निपुण हो।
हर कुई जन-जन अपड़ा मन मा ठांणी द्यो उ उन ही दान द्यो; न कि किच-किच कैरी कै, अर न जबरदस्ती से, किलैकि जु खुशी से दान दींदो वे बट्टी पिता परमेश्वर प्रेम रखदो।