अर यों सब बातों का बाद पौलुस न मकिदुनिया अर अखया मुलकों बटि ह्वेके यरूशलेम नगर जाण को विचार कैरी, अर वेन अपणा मन मा सोची कि, “वेका बाद त मितैं रोम भि जाण जरुरी च।”
पौलुस पिन्तेकुस्त का त्योवार तैं मनौण का बानो जथगा जल्दी ह्वे सकदु छौ यरूशलेम नगर कू जाण चाणु छौ, इलै वेन इन ठाणि की इफिसुस नगर का पास बटि ह्वेके चलि जौ, ताकि आसिया मुलक मा वेतैं जादा बगत नि लगु।
अर जब पौलुस उख बटि जाण लगि गै, त वेन इन बोलि के ऊं बटि विदै ले कि, “अगर जु परमेस्वर की इच्छा होलि, त मि तुम लोगु का पास फिर औलु।” तब पौलुस न इफिसुस नगर बटि पाणि का जाज से अपणी यात्रा शुरु कैरी।
पर हनन्याह न प्रभु तैं इन जबाब दिनी, “प्रभु, मिन ये मनखि का बारा मा भौत कुछ सुणयूं च, कि येन यरूशलेम नगर मा तुमरा बिस्वासी लोगु का दगड़ा मा भौत बुरु बरतौ कैरी।
अर ऊंन खुद हम से इन बिन्ती कैरी कि ऊंतैं भि बिस्वासी लोगु तक राहत पौंछाणु खुणि मदद करण को मौका दिये जौ। अर या बिन्ती ऊंन हम से बार-बार कैरी, जब की हम ऊंकी हालत तैं अच्छे से जणद्यां।
अर जै तरीके से तुमुन परमेस्वर का लोगु की सेवा कैरी अर अभि भि कना छाँ, वां से इन साबित होन्दु कि तुम पिता परमेस्वर से कथगा प्यार करद्यां, अर उ यों बातों तैं नि बिसरलु, किलैकि उ कै का दगड़ा मा अन्यो नि करदु।