रोमियों 14:5 - Garhwali5 कुछ लोग इन मणदिन कि कुई एक दिन कै दुसरा दिन से जादा खास च, अर कुछ लोग इन मणदिन कि हरेक दिन एक ही जन छिन। मेरा दगड़्यों, तुम सब लोग अपणा-अपणा मनों मा ईं बात तैं ठाणि के रखी ल्या, Gade chapit laगढवली नयो नियम5 वे ढंग से ही एक दिन तैं दुसरा बट्टी बड़ी के मंणदु अर कुई सब दिनों तैं एक समान मंणदु च हरेक अपड़ा ही मन मा निश्चय कैरी ल्यो। Gade chapit la |
पर फिर भि यू ज्ञान सब लोगु का पास नि च, किलैकि कुछ लोगु का बिंगण मा त अभि तक नि ऐ कि मूरतों मा कुई भि ताकत नि होन्दी। अर इन्द्रया लोग पैलि त मूरतों की पूजा करदा छा, अर ऊंका अगनै चड़ईं चीजों तैं खान्दा छा। अर अब जब वु लोग खाणुक खनदिन, त इन सोचदिन कि कखि यू मूरतों का अगनै चड़यूं खाणुक त नि च। तब ऊंको जमीर कमजोर होण की वजै से ऊंतैं दोषी ठैरान्दु, अर ऊ लोग इन बुल्दिन कि, “अरे, हम पाप कना छां।”