पर मेरा मन कि इच्छा या च कि जख-जख यीशु मसीह का नौ को परचार अभि तक नि ह्वे, मि उख-उख जैके शुभ समाचार सुणौ, ताकि कखि इन ना हो कि लोग बोला कि यू त दुसरा लोगु का कर्यां काम मा अपणु हक दिखाणु च।
अर यू काम मि अपणी मरजी से करदु अर वु भि बड़ी खुशी-खुशी से। हे मेरा दगड़्यों, मि खुणि एक इनाम रख्युं च, पर अगर जु मि ये काम तैं अपणी मरजी से नि करलु, त यां को मतलब यू च कि मि केवल अपणी जबाबदारी तैं पूरु कनु छौं।
अर ईं बात तैं याद रखा, कि अगर जु तुम सच्चि मा मदद करण चाणा छाँ, त अपणी-अपणी हैसियत का मुताबिक दे सकद्यां, ताकि या बात देखि के पिता परमेस्वर खुश हो। किलैकि पिता परमेस्वर इन इच्छा नि रखदु कि कु मितैं कथगा द्यालु, यू त तुमरि गुंजैस का मुताबिक च कि कु कथगा देण चाणु च।
मगर पौलुस न ऊंकू बोलि, “तुम रुवे-रुवे के मेरु हौसला किलै कम कना छाँ? मेरी बात को यकीन कैरा, मि प्रभु यीशु का नौ का खातिर यरूशलेम नगर मा बन्धी बणणु खुणि ही ना, बल्किन मा मुरण खुणि भि तयार छौं।”
अर जब तक पिता परमेस्वर कैतैं ऊंका पास बतौण वळु ही नि भेजलु तब तक लोग वेका बारा मा कनकै सुणी सकदिन? मगर सच्चै त या च कि वेन अपणा बारा मा इस्राएली लोगु तैं बतै, जन कि पवित्रशास्त्र मा भि लिख्यूं च कि, “कथगा धन्य छिन वु लोग, जु कि शुभ समाचार सुणौन्दिन।”