6 अर ऊं दिनों मा लोग अफ खुणि मौत मंगला, मगर मौत नि आली, अर ऊंका मनों मा मुरण की तड़प होलि, मगर मौत ऊं से दूर भगेली।
6 ऊं पाँच मैना मा लोग मुरणो को ढंग खुज्याला, पर उ मोरि नि सकला।
अर वे बगत लोग पाड़ो कू बुलला कि, ‘हे पाड़ो हमतै अपणा मूड़ी दबै द्या,’ इख तक की वु ढौंडो कू बुलला कि, ‘हमतै अपणा मूड़ी दफनै द्या।’
अर ऊ लोग उड़्यारों अर पाड़ो पर चिल्लै-चिल्लै के बुलण लगि गैनी, “हमरा मथि पोड़ि जा, अर हमतै मेम्ना का गुस्सा से अर जु राजगद्दी पर बैठयूं च वेकी नजरों से बचै द्या,