दिब्य दरस 9:20 - Garhwali20 मगर जु लोग यों पीड़ाओं मा बटि भि बचि गैनी ऊंन फिर भि अपणा-अपणा कामों से पस्ताप नि कैरी बल्किन मा खबेसों अर सोना-चांदी, पीतळ, ढुंगो अर लखड़े की बणि मूरतों तैं पूजणा रैनी, जु कि नऽ त देखि सकदिन, ना सुणी सकदिन, अर ना ही चलि-फिरी सकदिन। Gade chapit laगढवली नयो नियम20-21 पर और लोग जु ऊं विपत्तियों बट्टी पैली नि मरै गै छा, ऊंल अभि भि अपड़ा बुरा कामों बट्टी पछतौ नि कैरी छो। ऊंल हत्या कन, टूणा-टुटगा, यौन अनैतिकता या चोरी कन बट्टी पछतौ नि कैरी। ऊंल दुष्टात्माओं अर अपड़ी हथों बट्टी बंणि चीजों की आराधना कन भि नि छोड़ी, जन कि सोना या चाँदी या पितले या ढुंगा अर लखड़ो ल बणईं मूर्तियां, उ मूर्तियां, न त दिखदी छिनी, न सुणदींनि, अर न ही चलदी छिनी। Gade chapit la |
अर मितैं ईं बात कि चिन्ता च कि जब मि तुमरा पास फिर से औलु, अर अगर जु तुमरा बीच मा भौत सा लोग अभि भि अपणा पुरणा पापों मा ही फंस्यां छिन, अर अपणा मनों मा गळत विचार रखदिन, या सरील का गळत सम्बन्ध रखणा छिन, जौन अपणा यों पापों से पस्ताप नि कैरी त मितैं तुमरि खातिर दीन होण पोड़लु, अर पिता परमेस्वर का समणि रुंण पोड़लु।
अर यू मि इलै बोन्नु छौं किलैकि यूहन्ना बपतिस्मा देण वळु यू बतौणु खुणि ऐ कि मनखि तैं कनकै धरमी जीवन जीण चयेणु, अर तुम लोगु न वेकी बातों पर बिस्वास नि कैरी, पर चुंगी लेण वळो न अर वेश्याओं का जन दुसरा पापि लोगु न वेकी बातों पर बिस्वास कैरी। अर यू दिखण का बाद भि तुम लोगु न मन से पस्ताप नि कैरी, अर ना ही वेकी बातों पर बिस्वास कैरी।”