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दिब्य दरस 8:7 - Garhwali

7 अर जब पैला स्वर्गदूत न बिगुला बजै, तब ल्वे मिल्यूं ढांडो अर आग पैदा ह्‍वे, जु की धरती पर ढुळै गै। अर इन होण से जमीन का तीन हिस्सों मदि एक हिस्सा फुकै गै, अर इन्‍नि डाळों को एक हिस्सा फुकै गै, अर पूरि हरीं घास भि फुकै गै।

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गढवली नयो नियम

7 पैला स्वर्गदूत ल तुरै फूंकी, तब तुरंत ल्वे से मिली भौत सी बर्फीली बरखा अर आग धरती पर पोड़ी, इलै एक तिहाई धरती फुके गै, अर धरती को एक तिहाई हिस्सा फुके गै, अर डालों कु एक तिहाई फुके गै अर हैरी घास भि फुके गै।

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दिब्य दरस 8:7
29 Referans Kwoze  

अर ऊंकू इन बुले गै कि ऊ नऽ त धरती की घास तैं, ना ही कैं हरीं चीज तैं अर ना ही कैं डाळी-बोटी तैं नुकसान पौंछा, पर ऊं लोगु तैं ही नुकसान पौंछा, जौं का माथा पर परमेस्वर की मोर नि च।


अर यों तीन विपदाओं की वजै से मनखि जाति का तीन हिस्सा मदि एक हिस्सा को नास ह्‍वे गै। अर यू सब कुछ ऊंका गिच्‍चों बटि निकळण वळी आग, धुंवा अर गंधक की वजै से ह्‍वे।


तब चरी स्वर्गदूतों तैं आजाद किये गै, जौं तैं वे दिन, वे बगत अर वे मैना अर वे साल खुणि तयार कर्युं च, ताकि वु मनखियों का तीन हिस्सा मा बटि एक हिस्सा तैं मारी द्‍या।


अर आसमान बटि एक-एक दुण बराबर ढांडो लोगु पर पोड़ि, अर ईं विपदा की वजै से लोगु न परमेस्वर की बेजती कैरी, किलैकि या विपदा मनखियों का सौण से भैर छै।


तब पैला स्वर्गदूत न जैके अपणु कटोरा धरती पर अखणै दिनी, अर जौं लोगु पर वे दैंत की मोर लगि छै अर जु वेकी मूरत की पूजा कना छा, ऊं पर बड़ु दुख देण वळु बुरु फोड़ा निकळि गै।


अर वेन अपणी पूंच से आसमान का गैंणो का तीन हिस्सों मदि एक हिस्सा तैं खैंची के धरती पर ढोळि दिनी। तब उ खुंखार रागस वीं जनानि का समणि खड़ु ह्‍वे गै, ज्वा कि बच्‍चा तैं जनम देण वळी छै, ताकि जब बच्‍चा को जनम हो, त उ वेतैं निगळी द्‍यो।


तब मिन एक हलकु पीला रंग को एक घोड़ा निकळद देखि, अर वेमा सवार पराण को नौ छौ, मौत। अर अधलोक वेका पिछनै-पिछनै छौ। अर वेतैं धरती का चार हिस्सों मा बटि एक हिस्सा पर अधिकार दिये गै, कि ऊ तलवार बटि, अकाळ बटि, जान से मरण वळी महामारी बटि, अर जंगळि जानबरों का द्‍वारा लोगु तैं जान से मारी द्‍यो।


अर जन कि पवित्रशास्‍त्र मा भि लिख्यूं च कि, “सब मनखि घास की तरौं छिन, अर ऊंकी सुन्दरता घास का फूल का जन च। घास सूखि जान्दु, अर फूल झेड़ी जनदिन।


फिर जब सूरज निकळदु अर चटकतल्यु घाम घास पर पोड़दु, त उ वेतैं सुखै देन्दु। अर वेका फूल झेड़ी जनदिन, अर वेकी सुन्दरता नास ह्‍वे जान्दी। ठिक उन्‍नि सेठ मनखि भि धन कमौन्द-कमौन्द एक दिन माटा मा मिली जान्दु।


येका बाद मिन धरती का चरी कुणों पर चार स्वर्गदूत खड़ा होयां दिखिनी। अर ऊंन धरती मा चौतरफि दिसा की हवा तैं रोकी के रख्युं छौ, ताकि नऽ त कै डाळा पर, नऽ त धरती पर अर ना ही समुन्दर मा हवा चलु।


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