दिब्य दरस 5:13 - Garhwali13 फिर मिन स्वर्ग मा, धरती पर, अर धरती का मूड़ी अर समुन्दर की हरेक जीव-जन्तु तैं अर जु कुछ भि वेमा च, ऊं सभ्यों तैं इन गाण सुणी कि, “तुम जु राजगद्दी पर बैठयां छाँ, तुमरि अर मेम्ना की तारीफ हो, अर आदर-सम्मान, बडै अर ताकत सदनि तक ऊंकी ही रौ।” Gade chapit laगढवली नयो नियम13 फिर मिल स्वर्ग मा, अर धरती पर, अर धरती का मूड़ी, अर समुद्र की सब रचि चीजों तैं, अर सभि कुछ तैं जु वेमा छिनी, यु बुल्द सूंणि, “आवा हम वेकी महिमा अर स्तुति कैरा जु सिंहासन पर बैठयूं च। आवा हम चिनखा की महिमा कैरा। आवा हम हमेशा कु वेको आदर कैरा अर वे तैं सम्मान द्या, किलैकि उ सबसे जादा शक्तिशाली च।” Gade chapit la |
अर ऊ एक नयू गीत गाण लगि गैनी ऊंन बोलि कि, “हे हमरा मालिक हे हमरा प्रभु पिता, दस्तावेज तैं लेण का लगीं मोरों तैं खुलण का काबिल छाँ तुम यीशु बलिदान सिरफ तुम होयां। तुमुन ही हरेक गोत्र का, जाति हरेक भाषा का, देस-देस का लोगु तैं, ल्वे से अपणा खरीदी च, तुमुन ही ऊं लोगु तैं बणै एक पुरोहित च, पिता परमेस्वर खुणि राज्य एक बणयूं च राज करला वु सभि, औण वळी धरती मा।”