दिब्य दरस 4:8 - Garhwali8 अर चरी पराणों का छह-छह फाँकुड़ छा, अर ऊंका चौतरफि अर ऊंका भितर भि आंखा ही आंखा छा। अर वु बिन रुक्यां दिन-रात इन बुल्दिन कि, “पवित्र, पवित्र, पवित्र, सर्वसक्तिमान प्रभु परमेस्वर, जु छौ जु आज भि च अर जु औण वळु च।” Gade chapit laगढवली नयो नियम8 अर चरी ज्यून्दा प्राणियों का छः-छः फांकुड छा, ऊं पर सभि जगह आँखा छा, इख तक कि ऊंका फंकुड़ों का मूड़ी भि; अर उ रात-दिन बगैर आराम करयां बुल्णा रौंदा छा, “पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, उ व ही पिता परमेश्वर च जु बगत की शुरुआत बट्टी लेकर अब तक अर कभी नि बदलद जु आंण वलो च।” Gade chapit la |
अर वु परमेस्वर का सेवक मूसा को गीत अर मेम्ना जु की यीशु च वेको यू गीत गाणा छा, “सर्वसक्तिमान प्रभु पिता, हे हमरा प्यार प्रभु यीशु, छाँ महान पवित्र तुम ही, एकमात्र बाटु तुमरो सच्चु, भरोसा का लैख केवल तुम ही, काम अदभुत महान सब ही। सदनि को राजा केवल तुम ही, आदर-सम्मान लोग करला सब ही आला तुमरा समणि, देस-देस का सभि झुकला तुमरा समणि, करला भक्ति अर बडै भि जाहीर ह्वे गै ऊं सभ्यों पर, करदा छाँ तुम सब कुछ सच्चै पर।”