दिब्य दरस 3:11 - Garhwali11 “मि भौत जल्द औण वळु छौं। जु कुछ तुमरा पास च वेतैं थामि के रखा, ताकि कुई भि तुम बटि तुमरो मुकुट नि छिनी सैको। Gade chapit laगढवली नयो नियम11 मि जल्दी ही आंण वलो छो; इलै त्वे तैं मि पर विश्वास करदी रौंण चयणु च कि कुई भि त्वे तैं तेरी जीत को ईनाम लींण से रोक नि साको जु मुकुट का समान च। Gade chapit la |
अर हरेक उ मनखि जु दौड़ मा सामिल होण चान्दु, पैलि उ भौत मेनत करदु अर अपणी हरेक इच्छा तैं मरदु अर यू सब कुछ त उ जीतणु खुणि करदु, ताकि उ जीत का इनाम तैं पै सैको जैन एक दिन नास ह्वे जाण। मगर मि तुमतै बतै देन्दु कि हम बिस्वासी लोग सब कुछ पिता परमेस्वर खुणि करद्यां अर हमतै इन्द्रयो इनाम मिलण जैको नास कभि नि होण।