त सोचा, अगर जु हम छुटकारा पौण वळा बाटा तैं स्वीकार नि करुला, त हम वेका दण्ड से बचण की उम्मीद कनकै कैरी सकद्यां? अर सबसे पैलि पिता परमेस्वर न ही ईं बात का बारा मा बतै, अर जौं लोगु न वेका रैबार तैं सुणी, ऊंन हमतै यू साबित कैरिके दिखै दिनी कि वा बात सच्चि छै।