दिब्य दरस 2:21 - Garhwali21 मिन वींतैं मन से पस्ताप करण को मौका दिनी, मगर वा अपणा बुरै का कामों तैं छोड़ि के पस्ताप करणु खुणि तयार नि च। Gade chapit laगढवली नयो नियम21 मिल वीं तैं वीं का पापों बट्टी पछतौ कनु को मौका द्ये, पर व ऊं बुरा कामों तैं कन बंद कन से मना करदी। Gade chapit la |
अर जै बगत पितर नूह, पिता परमेस्वर का बुलण का मुताबिक जाज बणौणु छौ, वे बगत का लोगु न परमेस्वर की आज्ञा को पालन नि कैरी, अर पिता परमेस्वर सबर रखी के इन इंतजार कनु छौ, कि ऊ अपणा चाल-चलन मा बदळौ लेके आला, मगर इन नि ह्वे। तब पिता परमेस्वर न जल परलय कैरी, अर वे बगत मा कुछ ही लोग जाज मा बैठि के बचयै गैनी, अर ऊं मनखियों की गिनती आठ छै।
ठिक उन्नि पिता परमेस्वर भि मनखि का अपराधों तैं देखि के बड़ु गुस्सा च। अगर उ चौ त मनखियों तैं अपणी ताकत से दण्ड दे सकदु, मगर फिर भि वु सबर रखी के लोगु की सौन्दु। अर यू त वु लोग छिन जु कि नास होण का लैख छिन अर ऊंतैं देखि के वेतैं गुस्सा औन्दु, मगर फिर भि पिता परमेस्वर इथगा सबर रखणु च त यां मा वेकी क्या गळती?