दिब्य दरस 18:7 - Garhwali7 जथगा बड़ु वींन मोन कैरी अर अपणी सान-सौकत बढै, अर जथगा अयासी मा वा रै, उथगा ही जादा दुख अर पीड़ा वींतैं द्या, किलैकि वा अपणा दिल मा इन बुल्दी कि, ‘मि त महाराणी बणि के बैठि छौं, मि विधवा नि छौं, अर मिन कभि भि शोक नि मणै।’ Gade chapit laगढवली नयो नियम7 तू वीं तैं निश्चय ही जादा पिड़ा अर दुःख दिलैली जु वीं का भोगविलास भुरयां जीवन अर वीं का अपड़ा आप का प्रति घमण्ड का बराबर च। वीं ल अपड़ा आप बट्टी बोलि, “मि एक राणी का जन छो अर मि लुखुं पर राज्य करुलु। मि एक विधवा नि छो अर मि दुःख को अनुभव नि करुलु।” Gade chapit la |