दिब्य दरस 13:12 - Garhwali12 अर यू दैंत समुन्दर वळा दैंत की निगराणी मा रै के अपणु पूरु अधिकार चलौणु छौ। अर येन धरती मा रौण वळा सब लोगु तैं समुन्दर वळा दैंत की पूजा करणु खुणि मजबूर कैरी, हाँ वेकी ही पूजा करणु खुणि जैका मुण्ड़ पर एक इन्दरि चोट लगि छै ज्यां से वेका बचण की उम्मीद नि छै, मगर वेको उ घौ खूब ह्वे गै छौ। Gade chapit laगढवली नयो नियम12 वेल वीं शक्ति कु इस्तेमाल जु वे तैं वे जानवर का द्वारा द्ये गै छै जैको जान लींण वलो घाव खूब हवे गै छो वेल दुनिया का सभि लुखुं बट्टी जबरदस्ती वे पैला जानवर की आराधना कनु कु बोलि। Gade chapit la |
अर जु दैंत तिन देखि, पैलि उ ज्यून्द छौ पर अब वु मोरि गै, मगर उ फिर से ज्यून्द ह्वेके अधलोक बटि निकळि के आलु, अर वेको नास फिर से ह्वे जालु। अर धरती पर रौण वळा जौं लोगु का नौ दुनियां की शुरुवात बटि जीवन की किताब मा नि लिख्यां छिन, वु सब लोग वे दैंत का दगड़ा मा जु कुछ भि ह्वे देखि के बड़ु ताजुब करला।
तब मिन राजगद्दी देखि अर ऊं लोग की आत्माओं तैं भि देखि जु कि राजगद्दी पर बैठयां छा, जौं का मुण्ड़ यीशु की गवै देण अर परमेस्वर का वचन तैं बतौण की वजै से कटै गै छौ। अर यू वु आत्मा छिन जौं तैं परमेस्वर न न्याय करण को अधिकार दिनी। अर यों न नऽ त दैंत की, अर ना ही वेकी मूरत की पूजा कैरी, अर ना ही अपणा माथा या हाथ पर वेकी मोर लगवै, वु सब ज्यून्दा ह्वे गैनी, अर ऊंन राजा बणि के मसीह का दगड़ा मा एक हजार साल तक राज कैरी।