48 अर वे नरकलोक को कीड़ु कभि नि मुरदो, अर उखे आग कभि नि बुझदी।
48 अर नरक मा जख वेको कीड़ो नि मोरद अर आग नि बुझदि।
“तब राजा अपणा बैं तरफा वळो कू बोललु, ‘हे असगार लग्यां लोगु, मेरा समणि बटि दूर ह्वे जा, अर सदनि की वीं आग मा नास होणु कू चलि जा, ज्वा शैतान अर वेका दूतों खुणि तयार कैरिके रखी च।
अर वेको सुप्पु वेका हाथों मा च, अर उ अपणा खल्याण तैं ढंगल साफ करलु, ग्यूँ तैं अपणा कुठार मा इकट्ठा करलु, पर बूखा तैं वीं आग मा ढोळि द्यालु ज्वा कभि बुझि नि सकदी।”
किलैकि हरेक मनखि तैं आग का द्वारा शुद्ध किये जालु [अर हरेक बलिदान तैं लूण से नमकीन किये जालु।]
अर वेको सुप्पु वेका हाथों मा च। अर उ अपणा खल्याण तैं अच्छा ढंगल साफ करलु, अर ग्यूँ तैं अपणा कुठार मा इकट्ठा करलु, पर बूखा तैं वीं आग मा ढोळि द्यालु ज्वा कभि बुझि नि सकदी।”