अर मि तुम बटि सच्चि ही बोन्नु, जबरि तक ग्यूँ को बीज माटा मा पोड़ि के मोरि नि जान्दु, तबरि तक उ इखुली ही रौन्दु पर जब उ मोरि जान्दु त भौत सरा फल लान्दु च।
किलैकि जु कुई भि परमेस्वर का राज तैं बिंगणे की इच्छा रखदु, वेतैं वेका बारा मा बिंगण को और भि जादा ज्ञान दिये जालु। मगर जु मनखि इन सोचदु, कि मितैं भौत ज्ञान च, त वे बटि वु ज्ञान भि छिनै जालु।”