अर नासरत नगर तैं छुड़ण का बाद उ कफरनहूम नगर मा रौण लगि गै। अर कफरनहूम नगर झील का छाला पर बस्यूं च, अर जबूलून और नप्ताली का गोत्र का लोग ये मुलक मा रौन्दा छा।
तब गिरासेनियों मुलक का आस-पास का नगर बटि अयां लोगु न यीशु बटि बिन्ती कैरी, कि हमरा मुलक बटि चलि जा, किलैकि ऊ भौत डौऽरी गै छा। इलै यीशु उख बटि वापिस जाणु खुणि नाव मा बैठि गै।
“अर जु चीज पवित्र छिन, ऊंतैं कुकरों तैं नि द्या, अर ना ही अपणा मोति सुंगरों का अगनै डाला, कखि इन नि हो की वु ऊंतैं अपणा खुटों का तौळ दबै द्या, अर पिछनै मुड़ि के तुमतै फाड़ी द्या अर टुकड़ा-टुकड़ा कैरी द्या।”
अर जु अन्यो करदु, वु भले ही अन्यो कनु रौ, अर जैको चाल-चलन ठिक नि च वु भले ही गन्दा काम करण मा लग्यूं रौ, मगर जु मनखि परमेस्वर की नजर मा धरमी च उ भलै का काम करण पर लग्यूं रौ, अर जु पवित्र च उ पवित्र बणयूं रौ।”