मत्ती 5:5 - Garhwali5 “धन्य छिन ऊ, जु नमर सभौ का छिन, किलैकि ऊ ईं धरती का अधिकारी होला। Gade chapit laगढवली नयो नियम5 “धन्य छिन उ जु नम्र छिन, किलैकि उ पूरी धरती तैं प्राप्त करला।” Gade chapit la |
अर जु लोग तुमरि शिक्षा को विरोध करदिन, इन्द्रया लोगु तैं तुमतै नमर बणि के सिखौण वळु होण चयेणु, किलैकि विरोध करण वळा यू लोग शैतान की इच्छा तैं पूरि करणु खुणि वेका जाल मा फंस्यां छिन। अर यों लोगु तैं ईं उम्मीद का दगड़ा मा सिखौ, कि क्या पता परमेस्वर यों तैं भि पस्ताप करण को मन दे द्यो, ताकि यू भि सच्चै का ज्ञान तैं समझि जा अर चौकस ह्वेके शैतान का जाल बटि छुटी जा।
अर यू सब कुछ मूसा का दियां नियम-कानून का मुताबिक नि ह्वे, बल्किन मा पिता परमेस्वर न त वेसे भि पैलि पितर अब्राहम का दगड़ा मा करार कैरी छौं, कि उ अर वेका वंश का लोग ईं दुनियां का वारिस होला। अर यू सब त इलै नि ह्वे, किलैकि वेन नियम-कानूनों को पालन कैरी, बल्किन मा यू त इलै ह्वे किलैकि पितर अब्राहम न पिता परमेस्वर पर बिस्वास कैरी। अर पिता परमेस्वर न भि वेतैं एक धरमी मनखि का रुप मा स्वीकार कैरी।