46 अर तिन मेरा मुण्ड़ पर तेल नि लगै, पर ईं न मेरा खुटों पर खुशबुदार इतर मळि।
46 तिल जैतून को तेल मेरा मुंड पर नि लगै पर ईंल मेरा खुट्टा पर मंहगा इत्र मलि।
मगर जब तू उपवास रखलि, त अपणा मुख तैं ध्वे अर मुण्ड़ पर तेल लगै,
इलै मि त्वे बटि बोन्नु छौं, कि ईं जनानि न जु भौत सरा पाप कर्यां छा, उ सब पाप माफ ह्वे गैनी। किलैकि ईं न मि बटि भौत प्यार कैरी, पर जैको कम माफ किये गै, उ प्यार भि कम करदु।”