अर यीशु न ऊंकू बोलि, “अरे, तुम घबराणा किलै छाँ? ‘मि ही छौं,’ जरा मेरा हाथ, खुटों तैं त देखा, निथर मितैं छ्वी के देखा। अर तुमरा मनों मा सक पैदा किलै होणु च? किलैकि बाण पर हड़गा अर मांस नि होन्दु पर मि पर छैं छिन।”
तब पतरस न हनन्याह कू बोलि, “हनन्याह, तिन शैतान तैं अपणा मन मा इन बात किलै डलण दिनी, कि तू पवित्र आत्मा बटि झूठ्ठ बोल, अर पुंगड़े रकम मा बटि गबन कैरिके अपणा पास रख दे,
अर ऊंकी बातों तैं जाणि के वेन ऊंकू बोलि, “तुम मा रुट्टी नि च यां का खातिर तुम किलै इथगा विचार कना छाँ? क्या तुमुन मितैं अभि तक नि पछ्याणी, क्या तुम मेरा बारा मा अभि तक नि समझयां? क्या तुमरा मन निठुर ह्वे गैनी?
पर यीशु ऊंका मनों की बात जाणि गै अर वेन ऊंकू बोलि, “अगर कै राज्य मा फूट पोड़ि जौ, त उ राज्य बरबाद ह्वे जान्दु। अर ठिक उन्नि अगर कै नगर या परिवार मा फूट पोड़ि जौ, त उ भि बरबाद ह्वे जान्दु,
मि वींका बच्चों तैं महामारी भेजि के मरलु, ज्यां से कि बिस्वासी समुदाय का सब लोग जाणि जाला कि मि उई छौं जु कि मनखियों का मन अर दिल की बातों तैं जणदु च, अर मि हरेक तैं वेका कामों का हिसाब से द्यूलु।
किलैकि परमेस्वर का वचन मा काम करण अर जीवन देण की ताकत च। अर यू वचन एक इन्दरि तलवार का जन च ज्वा कि दुई तरफा बटि पैनी च। अर जन तलवार सरील का मांस तैं हड़गौं से अलग कैरी देन्दी, ठिक उन्नि पवित्रशास्त्र मा लिखी बात भि हमरा विचार अर मन मा छिप्यां सब राजों तैं परगट कैरी देन्दु।
तब शास्त्री अर फरीसी दल का लोग मन मा सुचण लगि गैनी, “यू कु च, जु अपणी बातों बटि परमेस्वर की बेजती कनु च? किलैकि परमेस्वर का अलावा और कु च जु पापों तैं माफ कैरी सकदु?”