45 अर सूरज को उज्याळु भि कम ह्वे गै, अर मन्दिर को परदा दुई हिस्सों मा फटी गै।
45 अर सूरज कु उज्यलो चलि गै अर यरूशलेम शहर का मन्दिर मा लटकयूँ मोटू परदा बीच मा द्वी भाग मा फटि गै।
अर वे ही बगत मन्दिर को परदा मथि बटि मूड़ी तक दुई हिस्सों मा फटी गै, अर एक बड़ु भ्वींचळु औण से धरती हिली गै, अर पौड़-पखाडो पर तिड़कवाल पोड़ि गै,
अर वे ही बगत मन्दिर को परदा मथि बटि मूड़ी तक दुई हिस्सों मा फटी गै।
अर जन पाणि का जाज तैं एक जगा मा टिकाणु खुणि समुन्दर मा लंगर डळै जान्दु, ठिक उन्नि पिता परमेस्वर का द्वारा दिईं आस हमतै मजबूत अर वेकी हिफाजत मा रखदी। अर यां से इन पता चलदु की हम खुद वे परदा तैं पार कैरिके परमेस्वर का समणि खड़ा ह्वे ग्यां।