लूका 20:13 - Garhwali13 तब वे बगिचा का मालिक न बोलि, ‘मि क्या जि कैरुं? अब मिन अपणु लाडलु नौनु भेजण, क्या पता वु वेको आदर-सम्मान कैरा।’ Gade chapit laगढवली नयो नियम13 तब वे अंगूर का बगिचा का स्वामि ल बोलि, “अब मि क्य जि कैरु? आखिर मा वेल अपड़ा प्रिय नौंनो तैं इन सोचि के भेजि, की शायद उ मेरा नौंना कु आदर करला।” Gade chapit la |
किलैकि पिता परमेस्वर न वु काम कैरिके दिखै दिनी, जु काम नियम-कानूनों न नि कैरी सैकी, अर सरील की इच्छा मा ऊंतैं पूरु करण बड़ु कठिन छौ। इलै वेन ये काम तैं पूरु करणु खुणि अपणा पुत्र तैं ईं दुनियां मा एक मनखि का रुप मा भेजि, ताकि एक पापि सरील तैं लेके उ पाप का दण्ड तैं अपणा मथि ले ल्यो, अर हमतै माफी मिली जौ।