तब यीशु न ऊंकू बोलि, “हे शास्त्री अर फरीसी दल का लोगु, तुम बड़ा ढोंगि छाँ अर तुम पर हाय च, किलैकि तुम दुसरा लोगु खुणि परमेस्वर का राज को द्वार बन्द कना छाँ, अर नऽ त तुम खुद वेमा जाणा छाँ, अर ना ही ऊंतैं जाण देणा छाँ जु कि वेमा जाण का हकदार छिन।
अर तुम क्या सोचद्यां कि ज्वा बात पवित्रशास्त्र मा लिखीं च वा सुद्दी च? “ज्वा आत्मा पिता परमेस्वर न मनखि तैं देई, कखि वा आत्मा वे बटि दूर नि ह्वे जौ, वेका खातिर वेतैं जलन होन्दी।”